अंग्रेजी समेत चार भाषाओं में आएगी ‘अस्ति और भवति
पूर्वांचल के एक छोटे से गांव और वहां जन्मे साहित्यकार की जिंदगी देश की तमाम भाषाओं के पाठक पढ़ सकेंगे। साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की आत्मकथा ‘अस्ति और भवति पंजाबी में प्रकाशित हो गई है। जल्द ही मराठी, बांग्ला और अंग्रेजी में इसका प्रकाशन होगा। नेशनल बुक ट्रस्ट देश की 10 प्रमुख भाषाओं में इसका अनुवाद कराएगा।
गोरखपुर के प्रो. तिवारी को अपनी आत्मकथा के लिए मूर्तिदेवी समेत कई सम्मान मिल चुके हैं। पिछले दिनों इसके पंजाबी अनुवाद का विमोचन पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने दिल्ली में किया। पंजाबी में इसका अनुवाद पटियाला विवि में प्रोफेसर डा. एसके वर्मा ने किया है। उन्होंने ही डा. हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं का भी अनुवाद किया था।
मराठी में इसका अनुवाद मराठी साहित्यकार बलवंत बिहूरकर कर रहे हैं। उन्होंने प्रेमचंद की जीवनी कलम का सिपाही का अनुवाद किया था। अंग्रेजी में अनुवाद का जिम्मा दिल्ली विवि की प्रोफेसर अनामिका को दिया गया है। जबकि बांग्ला में यह काम शांति निकेतन के प्रोफेसर करेंगे। प्रो. तिवारी के मुताबिक नेशनल बुक ट्रस्ट की योजना इसे भारत की दस प्रमुख भाषाओं में छापने की है।
ऐसी है यह आत्मकथा
लगभग 40 साल में बूंद-बूंद इकट्ठे हुए अनुभवों को दो साल तक 425 पन्नों की किताब में समेट कर 29 अध्यायों में पिरोया गया है। अनगिनत अनुभव हैं। इसमें घटनाएं कम हैं, विचार ज्यादा। कहीं दर्शन झलकता है कहीं संस्कृति। मानव मन की कमजोरियां झांकती हैं तो कहीं साहित्य, सत्ता और राजनीति के दुखांत-सुखांत किस्से भी बयां होते हैं। ‘अस्ति और भवति एक वैचारिक कृति है। इसमें भारतीय संस्कृति और आधुनिक विज्ञान मिले-जुले हैं। भारतीय संस्कृति का वैज्ञानिक आधार पर परीक्षण करती यह किताब 425 पन्नों में देश-दुनिया की तमाम घटनाओं, उनके दौर के लेखन, उनके शहर और गांव के साथ उनके पुरखों के दर्शन कराती हुई चलती है। आत्मकथा में 2013 तक की घटनाएं हैं।
कुशीनगर जिले में स्थित रायपुर भैंसही-भेड़िहारी गांव में 20 जून 1940 को जन्म। गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। साहित्य अकादमी में सदस्य, हिन्दी संयोजक, उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रहे। इंग्लैंड, मारीशस, रूस, अमरीका, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, चीन, आस्ट्रिया, जापान और थाईलैंड आदि देशों की यात्राएं।
मिल चुके हैं ये सम्मान
साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्यता सम्मान
व्यास सम्मान
पुश्किन सम्मान
साहित्य भूषण सम्मान
हिन्दी गौरव सम्मान
महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान
कृति सम्मान