कवियों की रचनाओं पर गोते लगाते रहे श्रोता
जिले के गोला कस्बे के गंगा लान में पिछले वर्षो की भांति इस वर्ष भी सरयू साहित्य मंच के तत्वावधान में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें शामिल देश के नामचीन कवियों की रचनाओं पर श्रोता रातभर गोता लगाते रहे।
बुधवार की रात आयोजित कवि सम्मेलन की शुरूआत सरस्वती वंदना से करते हुए कवि मनमोहन मिश्र ने होई जात जग उजियार हे देवी मइया..से किया। उसके बाद नारी सम्मान पर कविता पाठ करते हुए कहा कि इसकी ममता की बाहों में हर्षित है परिवार, सीने में करूणा गंगा सी, और आंचल में है प्यार ..तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उसके बाद हास्य अखिलेश द्विवेदी ने अपनी रचनाओं जो पढ़े-लिखे वह संतरी हुए, अपराधी माफिया मंत्री हुए व अपनी तुकबंदी से लोगों को लोटपोट कर दिया। इसी रंग को गाढ़ा करते हुए नजर इलाहाबादी ने कहा कि दिलों के दर्द की टिकिया नहीं होती, वह घर नहीं जहां बिटियां नहीं होती गाकर लोगों को खूब गुदगुदाया।
संचालन करते हुए क्षेत्रीय माटी के लाल व अंतर्राष्ट्रीय कवि दिनेश मिश्र बावरा ने कहा कि दूध को दूध, पानी को पानी कह दूं, मेघ की गर्जना, दरिया को रवानी कह दूं, अगर तुम यूं ही चुप रहे तो कुछ कह न पाउंगा, जरा साथ दो तो दुनिया की कहानी कह दूं..पर लोगों ने जमकर तालियां बजाई। अंत में दिल्ली से पधारी प्रसिद्ध कवयित्री कविता तिवारी ने अपनी वीर रस की कविताओं से लोगों में जोश भर दिया। उन्होंने गाया कि क्षितिज तक शौर्य गूंजेगा, स्वंय विभाजन बदलेगा, उतारो भारती की आरती, देश का सम्मान बदलेगा पर लोगों से खूब वाहवाही बटोरी।
इससे पहले पूर्व कार्यक्रम संयोजक डा. अनिल तिवारी ने सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम आरंभ किया। अंत में कार्यक्रम सह संयोजक शिक्षक प्रवीण तिवारी व प्राचार्य डा. फूलचंद तिवारी ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्राचार्य परमानंद दुबे, प्रधानाचार्य श्रीराम मिश्र, श्रीश दास, बीरबहादुर चंद, संपूर्णानंद शुक्ल, योगेंद्रनाथ सिंह, राजेश तिवारी, सुनील तिवारी, डा. अनूप तिवारी, अखिलेश दुबे, अनूप तिवारी, सच्चिदानंद राय आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।